Wednesday, September 19, 2012
मेरी पहचान किस हद तक सीमित है कि अगर मैंने अदना सा ये ब्लॉग शुरु नहीं करता
"मैं कभी-कभी सोचते हुए गहरे हताशा से भर जाता हूं कि मेरी पहचान किस हद
तक सीमित है कि अगर मैंने अदना सा ये ब्लॉग शुरु नहीं करता तो जितने लोग
मुझे अब जानते हैं, बमुश्किल उनमें से दस फीसद लोग मुझे जान रहे होते. इतना
ही नहीं, चाहे जितने भी लोग किसी न किसी रुप में मेरे आसपास हैं उनमें से
आधे से ज्यादा लोग ब्लॉगिंग न करने पर नहीं होते. सुख-दुख,छोटी-बड़ी
दुनियाभर की न जाने कितनी सारी बातें मैं उनसे साझा करता हूं.